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Wednesday, November 17, 2010

ए- मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया ||
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यूँ तो हर शाम मेरी उम्मीदों में गुज़र जाती थी,
पर आज कुछ बात है जो इस शाम पे रोना आया ||
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कभी तकदीर का मातम कभी, कभी दुनिया का गिला ,
मंज़िल- ए - इश्क में हर गम पे मुझे रोना आया ||
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जब भी हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का मेरी,
मुझको अपने दिल-ए-नादान पे रोना आया ||
-----०----

ए- मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया ||
-----०----


                                                                                                     राज़ 

हम छायादार पेड़, ज़माने के काम आये,  

और जब सूखे तो जलाने के काम आये ||

"सजा " 

कोई देखे तो ज़रा वो कैसी सजा देता है , 

मेरा दुश्मन मुझे जीने की दुआ देता है || 
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बुरे हालातों से तो तंग आकर हर कोई , 

वक़्त के आगे सिर अपना झुका देता ||
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किसलिए फैलाऊ हाथ मैन गैरों के सामने , 

रोटी दो वक़्त की जब मुझको खुदा देता है ||
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तो क्या हुआ जो तूने भी उस वक़्त छुड़ाया अपना दामन , 

बुरे वक़्त में तो साया भी दगा देता है ||
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कोई मंजिल तक नहीं पहुंचाता ले जाकर "राज़", 


हर कोई बस दूर से ही राह दिखा देता है ||
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यूँ तेज़ रफ्तार से ना चलो ए- हसीन सूरत वालों , 

एक हादसा चेहरे की पहचान मिटा देता है ||
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यूँ तो अब तमन्ना ही ना रही इस दुनिया में जीने की , 

पर मेरा दुश्मन मुझे अब भी जीने की दुआ देता है ||

                                                                                                           राज़

Saturday, November 13, 2010

LOVE LOVE LOVE

Nothing in this world can explain how I feel
I can’t believe the love I have for you is oh so real
You are my pride and joy and I adore you so much
It’s not just your personality it’s also your gentle touch
Everything about you is just so wonderful
The time we spend together is just unbelievable
You are a part of me, and without you I’m no good
I will do any and everything to stay with you just like I know you would
The love of my life that I adore
Each day I see you I Love you More & More

Thursday, October 7, 2010

दर्द

कौन समझेगा इस ज़माने में, 
दर्द कितना है मुस्कुराने में |
वो ही तूफ़ान आ गया  फिर से, 
और हम लगे हैं दिए जलाने में |
ज़िन्दगी एक क़र्ज़ है जिसको,
उम्र कम पड़ जाये चुकाने में |
घर से निकले थे जो इबादत के लिए , 
वो ही अब बैठे  हैं शराब खाने में | 
हंसते-हंसते राज़ के दिन बीते ,
रात बीती गज़ल सुनाने में | 
                                                             राज़ 

Tuesday, October 5, 2010

इंतज़ार

तेरे इंतज़ार में यूँ तड़पती रही "ज़िन्दगी"
जैसे रफ्ता - रफ्ता मोम सी पिघलती रही  "ज़िन्दगी" |
जब भी हद से गुजरता रहा यादों का मौसम,
छुप-छुप के तन्हा रोटी रही  "ज़िन्दगी" |
दिल जब भी हो उदासी के साये में ,
दर्द का कोई नग्मा गति रही  "ज़िन्दगी" |
कोई तो मिलेगा  "ज़िन्दगी" इन की हसीं राहों में,
न जाने क्यूँ इसी उम्मीद पे आगे बढती रही  "ज़िन्दगी" |
यूँ तो जहान में कई रास्ते हैं राज़ तेरे वास्ते ,
अब देखें किस राह में ले जाती है "ज़िन्दगी" |
अब जब तू ही नहीं कोई रंज ही नहीं,
कोरे कागज़ सी हो जाती है जिंदगी
जब कोई आस ही ना हो दिल में 'राज़'
तब जिंदा लाश सी हो जाती है"ज़िन्दगी" | 

Monday, October 4, 2010

BAhut din huye koi sher jangal me nahi choda to ye lo mera sher.

मैंने जहान के वास्ते, आग अपने घर को लगा दी.
रोशन हुआ जहां, और मैं बेघर हो गया |