"सजा "
कोई देखे तो ज़रा वो कैसी सजा देता है ,
मेरा दुश्मन मुझे जीने की दुआ देता है ||
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बुरे हालातों से तो तंग आकर हर कोई ,
वक़्त के आगे सिर अपना झुका देता ||
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किसलिए फैलाऊ हाथ मैन गैरों के सामने ,
रोटी दो वक़्त की जब मुझको खुदा देता है ||
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तो क्या हुआ जो तूने भी उस वक़्त छुड़ाया अपना दामन ,
बुरे वक़्त में तो साया भी दगा देता है ||
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कोई मंजिल तक नहीं पहुंचाता ले जाकर "राज़",
हर कोई बस दूर से ही राह दिखा देता है ||
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यूँ तेज़ रफ्तार से ना चलो ए- हसीन सूरत वालों ,
एक हादसा चेहरे की पहचान मिटा देता है ||
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यूँ तो अब तमन्ना ही ना रही इस दुनिया में जीने की ,
पर मेरा दुश्मन मुझे अब भी जीने की दुआ देता है ||
राज़
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