"इंतज़ार"
एक अनजाने सफ़र में चले जा रहा हूँ मैं,
बीच राह में खड़े तेरा इंतज़ार किये जा रहा हूँ मैं |
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ना मंज़िल का पता है मुझे, ना तेरे आने की खबर ,
फिर भी ना जाने क्यूँ तेरा इंतज़ार किये जा रहा हूँ मैं |
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मैं जानता ही नहीं इस सफर का अन्त क्या होगा ,
फिर भी ना जाने क्यूँ ये सफ़र तय किये जा रहा हूँ मैं ||
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ना दुनिया से कोई गिला है मुझे, ना तुझसे कोई शिकायत,
फिर भी ना जाने क्यूँ खुद से शिकायत किये जा रहा हूँ मैं ||
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बहुत डरता हूँ मैं तुझसे दूर जाने से ,
फिर भी ना जाने क्यूँ तुझसे दूर हुए जा रहा हूँ मैं ||
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पर अब भी आस है मुझे तेरे लौट आने की ,
इसलिए अब भी तेरा इंतज़ार किये जा रहा हूँ मैं ||
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राज़
achha lagaa isi tarah se aDiya se baDiya likhte rahe
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