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Wednesday, November 17, 2010

ए- मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया ||
-----०----
यूँ तो हर शाम मेरी उम्मीदों में गुज़र जाती थी,
पर आज कुछ बात है जो इस शाम पे रोना आया ||
-----०----
कभी तकदीर का मातम कभी, कभी दुनिया का गिला ,
मंज़िल- ए - इश्क में हर गम पे मुझे रोना आया ||
-----०----
जब भी हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का मेरी,
मुझको अपने दिल-ए-नादान पे रोना आया ||
-----०----

ए- मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया ||
-----०----


                                                                                                     राज़ 

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