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Wednesday, July 18, 2012











....................नहीं रहे काका..................
 बीते जमाने के बॉलीवुड सुपर स्‍टार राजेश खन्‍ना आज मौत से जिंदगी की जंग हार गए... जी हाँ नहीं रहे काका.... राजेश खन्ना ने बुधवार दोपहर अपने मुंबई स्थित आवास 'आशीर्वाद' में अंतिम साँस ली.... सूत्रों के मुताबिक राजेश खन्ना का अंतिम संस्कार आज शाम 4.30 बजे या कल सुबह किया जा सकता है... काका ने 69 वर्ष की उम्र में अपनी देह को त्याग दिया... काका को हमारी श्रधांजलि... 

Tuesday, July 17, 2012

काका की अनसुनी कहानियां..


...........................राजेश खन्ना......................
बीते जमाने के बॉलीवुड सुपर स्‍टार राजेश खन्‍ना आज जिंदगी के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। मुंबई के लीलावती अस्‍पताल से छुट्टी मिल चुकी है   परिवार के सूत्रों ने कहा कि अब उनकी तबीयत ठीक है। सूत्र ने कहा, "राजेश खन्ना अब पूरी तरह ठीक हैं और उन्हें सोमवार दोपहर को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। परिवार के सदस्य उनके साथ थे।"
बीते अप्रैल से उन्हें चार बार अस्पताल में दाखिल होना पड़ा । लेकिन परिवार उन्‍हें लगातार ठीक बताने की कोशिश करता रहा है। इस वजह से कयासों का बाज़ार गर्म है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक राजेश खन्ना का लीवर खराब हो गया है। यही वजह है कि उन्हें हफ्ते में तीन बार डायलिसिस की जरूरत भी पड़ती है।
2. बताया जाता है कि राजेश खन्ना के लीवर में खराबी उनकी शराब की लत की वजह से आई है। हालांकि, इस बात की न तो राजेश खन्ना ने कभी पुष्टि की है और न ही उनके किसी करीबी ने। पिछले साल रियलिटी टीवी शो 'बिग बॉस' में भी राजेश खन्ना के शामिल होने की बात सामने आई थी। लेकिन उन्‍होंने आखिरी समय में इस शो से अपना नाम वापस ले लिया था। उस वक्‍त भी सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई थी कि राजेश खन्ना शो में कुछ समय अकेले में बिताने की मांग कर रहे थे ताकि वे अपनी आदत के अनुसार शराब पी सकें। शो के निर्माताओं ने उनकी मांग ठुकरा दी थी। लेकिन इस बात की पुष्टि न तो राजेश खन्ना ने कभी की और न ही बिग बॉस के निर्माताओं की तरफ से आधिकारिक तौर पर ऐसी कोई बात कही गई

3. खन्ना परिवार से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि राजेश खन्ना की हालत गंभीर नहीं है। बस कमजोरी की वजह से उन्हें अस्‍पताल ले जाना पड़ा। अप्रैल में उन्हें तीन-चार दिन के लिए अस्‍पताल में रहना पड़ा था। जून में भी उन्‍हें दो बार अस्‍पताल ले जाना पड़ा था। 23 जून को लीलावती अस्पताल में भर्ती होने पर उन्‍हें करीब दो हफ्ते रहना पड़ा था।

4.राजेश से अलग रह रही उनकी पत्नी डिम्पल कपाड़िया के अलावा उनकी बेटी ट्विंकल खन्‍ना इन दिनों उनकी देखभाल कर रही हैं। डिंपल से उन्‍होंने 1973 में शादी की थी, लेकिन 1984 में उनकी राहें जुदा हो गईं। तब से अलग रहने के बावजूद आज मुश्किल दौर में डिंपल उनका सबसे ज्‍यादा साथ दे रही हैं।

5.  वैसे तो राजेश खन्‍ना ने डिंपल पर लट्टू होकर उनसे प्‍यार किया और फिर शादी की थी, लेकिन शादी के बाद वह डिंपल को बांध कर रख नहीं सके। उनके स्‍वभाव की वजह से डिम्‍पल ने आखिरकार खुद को उनकी जिंदगी से बाहर कर लिया। डिम्पल ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मैं वैसा ही करती थी जैसा उन्हें पसंद था। पर इसके लिए कभी उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा। उनके आसपास के लोग उनके चमचों की तरह थे। उनके साथ भी मुझे तालमेल बैठाना पड़ता था।' डिम्‍पल से उनकी मुलाकात का वाकया भी दिलचस्‍प है। बात सन 1972 के किसी महीने की है। बॉलीवुड में डिम्पल कापडि़या हॉट टॉपिक थीं। चारों और बस यही चर्चा थी कि राजकपूर उन्हें अपनी नई फिल्म 'बॉबी' में बतौर हीरोइन पेश कर रहे थे। यह पहला अवसर था जब राजकपूर एक नए चेहरे को लीड रोल में इंट्रोड्यूस कर रहे थे

जिस समय 'बॉबी' की शूटिंग चल रही थी, उसी दौरान अहमदाबाद में एक फिल्म समारोह आयोजित हुआ। इसमें शामिल होने के लिए मुंबई के बहुत से नामी सितारे बुलाए गए। इन्हें लाने के लिए आयोजकों ने एक चार्टर्ड प्लेन का इंतजाम किया। विमान में राजेश खन्ना सुपर स्टार की हैसियत से मौजूद थे। डिम्पल चूंकि राजकपूर की खोज थीं, इसलिए वह भी अहमदाबाद जा रही थीं। डिंपल के बगल की सीट खाली देख राजेश ने उनसे पूछा, 'क्या मैं इस सीट पर बैठ सकता हूं?' डिंपल भला कहां से इनकार कर सकती थीं। यह पहली मुलाकात गहरी होती गई। अहमदाबाद में समारोह के दौरान दोनों की बराबर मुलाकातें होती रहीं। डिनर और लंच के दौरान दोनों एक-दूसरे को उनकी मनपसंद डिश पेश करते रहे। विमान से मुंबई लौटने से पहले दोनों की प्रेम कहानियां बॉलीवुड में पहुंच गई। जिन लोगों ने दोनों को विमान या फिल्म समारोह में देखा था, वे तो मान रहे थे कि राजेश-डिंपल के बीच कुछ पक रहा है, लेकिन बाकी को यह खबर मात्र गॉसिप लग रही थी।

डिम्पल का नाम पहले ऋषि कपूर से जुड़ रहा था। फिर राजेश खन्ना उम्र में डिम्पल से काफी बड़े थे। डिम्पल तब पंद्रह साल की थीं। राजेश खन्ना 30 पार कर चुके थे। अंजू से लगातार अनबन से परेशान राजेश ने मुंबई पहुंच कर डिम्‍पल से मेल-मुलाकातें जारी रखीं। वे अक्सर समंदर के किनारे मिलते। एक दिन चांदनी रात में ऐसे ही घूमते हुए राजेश खन्‍ना ने डिम्पल के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। राजेश पर पूरे देश की लड़कियां मरती थीं। तो, डिम्पल उनसे शादी का प्रस्‍ताव कैसे ठुकरा सकती थीं? डिम्पल के पिता चुन्नीभाई कपाडिया को जब इस रिश्ते की बात पता चली, तो उन्हें बेटी की पसंद पर नाज हुआ। धूमधाम से सुपर स्टार की बारात निकली। चुन्नीभाई के आवास जलमहल में शानदार स्वागत हुआ। फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग इस शादी में शामिल हुए। अगर कोई इस शादी में नहीं रहा, तो वे थे ऋषि कपूर और अंजू महेंद्रू। राजेश-डिम्पल की शादी की एक छोटी-सी फिल्म उस समय देश भर के थिएटर्स में फिल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी।

राजेश खन्‍ना की जिंदगी में कई हसीनाएं आईं और गईं। डिंपल से पहले अंजू महेंद्रू उनकी जिंदगी में आई थीं। अंजू से उनकी मुलाकात कॅरियर के शुरुआती दौर में ही हुई थी। फैशन डिजाइनर अंजू ने 'शोबिज' के लिए राजेश खन्ना की ग्रूमिंग भी की। आठ-नौ साल तक दोनों साथ रहे, लेकिन उनका साथ इससे लंबा नहीं चल सका। कॅरियर में असफलता की वजह से राजेश तब तक काफी चिड़चिड़े हो गए थे। दोनों में हर रोज झगड़े होने लगे। राजेश की सबसे बड़ी आलोचक अंजू ही थी। लेकिन राजेश खन्‍ना को अपनी आलोचना पंसद नहीं थी। बकौल अंजू, 'हमारे रिश्ते में हमेशा कन्फ्यूजन रहा। राजेश को अल्ट्रा मॉडर्न लड़कियाँ आकर्षित करती थीं। पर अगर मैं कभी स्कर्ट पहनती थी, वे कहते थे तुम साड़ी क्यों नहीं पहनती! और मैं साड़ी पहनती थी तो कहते थे तुम भारतीय नारी क्यों बन रही हो! उनको बिलकुल पसंद नहीं था कि कोई उनकी आलोचना करे और मैं उनकी सबसे बड़ी आलोचक थी। मुझे अगर कोई बात बुरी लगती थी तो मैं उनके सामने ही कह देती थी। एक दौर ऐसा था जब उनकी जिंदगी मेरे इर्दगिर्द सिमटी हुई थी। मैं कहां हूं और क्या कर रही हूं, इसकी उनको पूरी जानकारी चाहिए होती थी।' अंजू की जिंदगी में मशहूर क्रिकेटर गैरी सोबर्स की एंट्री होनी शुरू हुई तो उन्‍होंने राजेश से पल्‍ला छुड़ाने में ही बेहतरी समझा। अंजू से संबंध टूटने के बाद राजेश खन्ना ने 1973 में डिम्‍पल से शादी कर ली।
बॉलीवुड में राजेश खन्‍ना की एंट्री 'टैलेंट हंट' के जरिए हुई थी। 1965 में यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने नया हीरो खोजने के अपने टैलंट हंट अभियान में दस हजार में से आठ लड़के चुने थे, जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे। अंत में राजेश खन्ना विजेता घोषित किए गए। सबसे पहले उन्हें राजफिल्म के लिए जीपी सिप्पी ने साइन किया, जिसमें बबीता जैसी बड़ी स्टार थीं। राजेश की पहली प्रदर्शित फिल्म का नाम आखिरी खतहै, जो 1967 में रिलीज हुई थी। 1969 में रिलीज हुई आराधना और दो रास्ते की सफलता के बाद राजेश खन्ना सीधे शिखर पर जा बैठे। उन्हें सुपरस्टार घोषित कर दिया गया और लोगों के बीच उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई। सुपरस्टार के सिंहासन पर राजेश खन्ना भले ही कम समय के लिए विराजमान रहे, लेकिन यह माना जाता है कि वैसी लोकप्रियता किसी को हासिल नहीं हुई जो राजेश को हासिल हुई थी। स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम-चूम कर गुलाबी बना देती थीं। निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे। 1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं।
राजेश से टीना मुनीम का भी नाम जुड़ा। दोनों के लिव-इन रिलेशनशिपके चर्चे भी काफी चर्चित रहे। राजेश को लेकर एक बार टीना ने कहा था कि हर झगड़े के बाद वे मुझे गिफ्ट से लाद देते थे, वे हमेशा मुझे लुभाते रहते थे। एक जमाने में राजेश ने कहा भी था कि वे और टीना एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि टीना का कॅरियर संवारने के लिए उन्होंने शक्ति सामंत के डायरेक्शन में अलग-अलगनामक फिल्म भी बनाई थी। इस फिल्म के बारे में तो यहां तक कहा गया था कि यह राजेश खन्ना और डिम्पल की असली जिंदगी पर आधारित थी। लेकिन टीना मुनीम ने भी बाद में उन्हें छोड़कर नए-नए उद्योगपति बने धीरूभाई अंबानी के छोटे बेटे अनिल अंबानी का दामन थाम लिया। यहां तक कि हाल के बरसों में भी उनका नाम अनीता आडवाणी नामक महिला से जुड़ा था। दोनों एक साथ भरपूर वक्त गुजारा करते थे, लेकिन अनीता ने 'काका' से शादी करने से मना कर दिया था

कहा जाता है कि पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्दगिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सकें। राजेश खन्ना द्वारा महज चार साल के दौरान लगातार 15 सुपर हिट फिल्में देना आज भी बॉलीवुड में एक रिकॉर्ड है। उन्हें हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहा जाता है। वैसे, काका को पहली बार बेस्ट ऐक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठाके लिए मिला था, जबकि 1971 में लगातार दूसरी बार बेस्ट ऐक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। तीन साल बाद फिल्मआविष्कारके लिए भी उन्हें यह अवार्ड मिला। साल 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी दिया गया। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए।

'आराधना', 'सच्चा झूठा', 'कटी पतंग', 'हाथी मेरे साथी', 'मेहबूब की मेहंदी', 'आनंद', 'आन मिलो सजना', 'आपकी कसम'जैसी फिल्मों ने कमाई के नए रिकॉर्ड बनाए। 'आराधना'फिल्म का गाना मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू...उनके करियर का सबसे हिट गीत रहा। 'आनंद' फिल्म राजेश खन्ना के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है, जिसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई। राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर का अहम योगदान रहा है। इनके बनाए और राजेश पर फिल्माए अधिकांश गीत हिट साबित हुए और आज भी सुने जाते हैं। किशोर ने 91 फिल्मों में राजेश को आवाज दी तो आरडी ने उनकी 40 फिल्मों में संगीत दिया। अपनी फिल्मों के संगीत को लेकर राजेश हमेशा सजग रहते हैं। वे गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त स्‍टूडियो में रहना पसंद करते थे और अपने सुझावों से संगीत निर्देशकों को अवगत कराते थे।
राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। स्ट्रगलर होने के बावजूद वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी। फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से 'काका 'कहा जाता है। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।

मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ राजेश खन्ना की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। मुमताज के साथ उन्होंने 8 सुपरहिट फिल्में दी। शर्मिला और मुमताज, जो कि राजेश की लोकप्रियता की गवाह रही हैं, का कहना है कि लड़कियों के बीच राजेश जैसी लोकप्रियता बाद में उन्होंने कभी नहीं देखी। आशा पारेख और वहीदा रहमान जैसी सीनियर एक्ट्रेस के साथ भी उन्होंने काम किया। गुरुदत्त, मीना कुमारी और गीता बाली को राजेश खन्ना अपना आदर्श मानते हैं। जीतेन्द्र और राजेश खन्ना स्कूल में साथ पढ़ चुके हैं। अपने बैनर तले राजेश खन्ना ने जय शिव शंकरनामक फिल्म शुरू की थी, जिसमें उन्होंने पत्नी डिम्पल को साइन किया। आधी बनने के बाद फिल्म रूक गई और आज तक रिलीज नहीं हुई। बहुत पहलेजय शिव शंकरफिल्म में काम मांगने के लिए राजेश खन्ना के ऑफिस में अक्षय कुमार गए थे। घंटों उन्हें बिठाए रखा और बाद में काका उनसे नहीं मिले। यही अक्षय एक दिन काका के दामाद बने।

एक बार का वाकया है जब वे बीमार पड़े। तब एक कॉलेज के ग्रुप ने उनकी तस्वीर पर बर्फ की थैली से सिंकाई की ताकि बुखार जल्दी उतर जाए। एक बार उनकी आंख में इंफेक्शन हो गया तो लड़कियों ने आईड्रॉप खरीदकर उनके पोस्टर पर ही लगाया। राजेश खन्ना की इन फिल्मी पत्रिकाओं में छपी तस्वीरें लड़कियों के कमरों, किताबों के पन्नों के बीच या तकिए के नीचे शोभा बढ़ातीं। वहीं लड़के राजेश खन्ना की तरह हेयर स्टाइल अपनाते या राजेश खन्ना की तरह से कपड़े पहनने की कोशिश करते। मतलब साफ है कि संचार के बहुत सीमित साधनों के बावजूद आज से करीब चार दशक पहले राजेश खन्ना देश को अपना दीवाना बना चुके थे। राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया। उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने हो गए। राजेश खन्ना द्वारा पहने गए गुरु कुर्त्ते खूब प्रसिद्ध हुए। इस बात से राजेश खन्ना पूरी तरह वाकिफ थे कि उनकी लोकप्रियता किस मुकाम तक पहुँच चुकी है... और वे स्वयं को आत्ममुग्ध होने से नहीं बचा पाए।

बताया जाता है कि राजेश खन्ना की दीवानगी ऐसी थी कि कुंवारी लड़कियों के बिस्तर पर तकिए के नीचे राजेश खन्ना का फोटो जरुरी जैसा हो गया था। फिल्मी पत्रिकाओं में फिल्मी सितारों को लेकर गॉसिप छपा करते थे। जैसे कि राजेश खन्ना का बेडरुम पूरा रेशम का बना हुआ है।‘ ‘राजेश खन्ना का बिस्तर, उसका नाइट गाउन, यहां तक की उसकी चप्पलें भी रेशम की हैं।’ ‘राजेश खन्ना ने एक बार अपने ऑकिटेक्ट को बुलाया और कहा कि मेरे बेडरूम से सीधे पूल में जाने के लिए एक स्लाइड बनाओ, जिससे में सुबह सोकर उठूं और फिर सीधा स्लाइड से फिसलकर स्विमिंग पूल में चला जाउं, लेकिन तब के मुंबई महानगरपालिका ने इसकी इजाजत नहीं दी’ ‘राजेश खन्ना ने अपनी प्रेमिका अंजू महेंद्रू को एक बंगला गिफ्ट किया है।ऐसे बहुत से गॉसिप राजेश खन्ना को लेकर छपते।

Friday, May 18, 2012

काश...........


काश...........
किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा

कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा

किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा

देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा

और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा

कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा

अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा

ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा

जानता हूँ अकेला हूँ फिलहाल
पर उम्मीद है कि दूसरी ओर ज़िन्दगी का कोई और ही किनारा होगा
              राज 

Thursday, May 10, 2012

विज्ञान की नज़र से क्या पुनर्जन्म होता है

पुनर्जन्म आज एक धार्मिक सिद्धान्त मात्र नहीं है। इस पर विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों एवं परामनोवैज्ञानिक शोध संस्थानों में ठोस कार्य हुआ है। वर्तमान में यह अंधविश्वास नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्य के रुप में स्वीकारा जा चुका है।
पुनरागमन को प्रमाणित करने वाले अनेक प्रमाण आज विद्यमान हैं। इनमें से सबसे बड़ा प्रमाण ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है। विज्ञान के सर्वमान्य संरक्षण सिद्धांत के अनुसार ऊर्जा का किसी भी अवस्था में विनाश नहीं होता है, मात्र ऊर्जा का रुप परिवर्तन हो सकता है। अर्थात जिस प्रकार ऊर्जा नष्ट नहीं होती, वैसे ही चेतना का नाश नहीं हो सकता।चेतना को वैज्ञानिक शब्दावली में ऊर्जा की शुद्धतम अवस्था कह सकते हैं। चेतना सत्ता का मात्र एक शरीर से निकल कर नए शरीर में प्रवेश संभव है। पुनर्जन्म का भी यही सिद्धांत है।
पुनर्जन्म का दूसरा प्रत्यक्ष प्रमाण पूर्वजन्म की स्मुति युक्त बालकों का जन्म लेना है। बालकों के पूर्वजन्म की स्मृति की परीक्षा आजकल दार्शनिक और परामनोवैज्ञानिक करते हैं। पूर्वभव के संस्कारों के बिना मोर्जाट चार वर्ष की अवस्थ्सा में संगीत नहीं कम्पोज कर सकता था। लार्ड मेकाले और विचारक मील चलना सीखने से पूर्व लिखना सीख गए थे। वैज्ञानिक जान गाॅस तब तीन वर्ष का था तभी अपने पिताजी की गणितीय त्रुटियों को ठीक करता था। इससे प्रकट है कि पूर्वभव में ऐसे बालकों को अपने क्षेत्र में विशेष महारत हासिल थी। तभी वर्तमान जीवन में संस्कार मौजूद रहे।
प्रथमतः शिशु जन्म लेते ही रोता है। स्तनपान करने पर चुप हो जाता है। कष्ट में रोना ओर अनुकूल स्थिति में प्रसन्नता प्रकट करता है। शिशु बतख स्वतः तैरना सीख जाती है। इस तरह की घटनाएं हमें विवश करती हैं यह सोचने के लिए कि जीव पूर्वजन्म के संस्कार लेकर आता है। वरन नन्हें शिशुओं को कौन सिखाता है?
डाॅ. स्टीवेन्सन ने अपने अनुसंधान के दौरान कुछ ऐसे मामले भी देखे हैं जिसमें व्यक्ति के शरीर पर उसके पूर्वजन्म के चिन्ह मौजूद हैं। यद्यपि आत्मा का रुपान्तरण तो समझ में आता है लेकिन दैहिक चिन्हों का पुनःप्रकटन आज भी एक पहेली है।
डाॅ. हेमेन्द्र नाथ बनर्जी का कथन है कि कभी-कभी वर्तमान की बीमारी का कारण पिछले जन्म में भी हो सकता है। श्रीमती रोजन वर्ग की चिकित्सा इसी तरह हुई। आग को देखते ही थर-थर कांप जाने वाली उक्त महिला का जब कोई भी डाॅक्टर इलाज नहीं कर सका। तब थककर वे मनोचिकित्सक के पास गई। वहां जब उन्हें सम्मोहित कर पूर्वभव की याद कराई  कई, तो रोजन वर्ग ने बताया कि वे पिछले जन्म में जल कर मर गई थीं। अतः उन्हें उसका अनुभव करा कर समझा दिया गया, तो वे बिल्कुल स्वस्थ हो गई। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिकों ने विल्सन कलाउड चेम्बर परीक्षण में चूहे की आत्मा की तस्वीर तक खींची है। क्या इससे यह प्रमाणित नहीं होता है कि मृत्यु पर चेतना का शरीर से निर्गमन हो जाता है?
सम्पूर्ण विश्व के सभी धर्मो, वर्गों, जातियों एवं समाजों में पुनर्जन्म के सिद्धांतों किसी न किसी रुप में मान्यता प्राप्त है।
अंततः इस कम्प्युटर युग में भी यह स्पष्ट है कि पुनर्जन्म का सिद्धांत विज्ञान सम्मत है। आधुनिक तकनीकी शब्दावली में पुनर्जन्म के सिद्धांत को इस तरह समझ सकते हैं। आत्मा का अदृश्य कम्प्युटर है और शरीर एक रोबोट है। हम कर्मों के माध्यम से कम्प्युटर में जैसा प्रोग्राम फीड करते हैं वैसा ही फल पाते हैं। कम्प्युटर पुराना रोबोट खराब को जाने पर अपने कर्मों के हिसाब से नया रोबोट बना लेता है।
पुनर्जन्म के विपक्ष में भी अनेक तर्क एवं प्रक्ष खड़े हैं। यह पहेली शब्दों द्वारा नहीं सुलझाई जा सकती है। जीवन के प्रति समग्र सजगता एवं अवधान ही इसका उत्तर दे सकते हैं। संस्कारों की नदी में बढ़ने वाला मन इसे नहीं समझ सकता है।
पुनर्जन्म आज एक धार्मिक सिद्धान्त मात्र नहीं है। इस पर विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों एवं परामनोवैज्ञानिक शोध संस्थानों में ठोस कार्य हुआ है। वर्तमान में यह अंधविश्वास नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्य के रुप में स्वीकारा जा चुका है।
पुनरागमन को प्रमाणित करने वाले अनेक प्रमाण आज विद्यमान हैं। इनमें से सबसे बड़ा प्रमाण ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है। विज्ञान के सर्वमान्य संरक्षण सिद्धांत के अनुसार ऊर्जा का किसी भी अवस्था में विनाश नहीं होता है, मात्र ऊर्जा का रुप परिवर्तन हो सकता है। अर्थात जिस प्रकार ऊर्जा नष्ट नहीं होती, वैसे ही चेतना का नाश नहीं हो सकता।चेतना को वैज्ञानिक शब्दावली में ऊर्जा की शुद्धतम अवस्था कह सकते हैं। चेतना सत्ता का मात्र एक शरीर से निकल कर नए शरीर में प्रवेश संभव है। पुनर्जन्म का भी यही सिद्धांत है।
पुनर्जन्म का दूसरा प्रत्यक्ष प्रमाण पूर्वजन्म की स्मुति युक्त बालकों का जन्म लेना है। बालकों के पूर्वजन्म की स्मृति की परीक्षा आजकल दार्शनिक और परामनोवैज्ञानिक करते हैं। पूर्वभव के संस्कारों के बिना मोर्जाट चार वर्ष की अवस्थ्सा में संगीत नहीं कम्पोज कर सकता था। लार्ड मेकाले और विचारक मील चलना सीखने से पूर्व लिखना सीख गए थे। वैज्ञानिक जान गाॅस तब तीन वर्ष का था तभी अपने पिताजी की गणितीय त्रुटियों को ठीक करता था। इससे प्रकट है कि पूर्वभव में ऐसे बालकों को अपने क्षेत्र में विशेष महारत हासिल थी। तभी वर्तमान जीवन में संस्कार मौजूद रहे।
प्रथमतः शिशु जन्म लेते ही रोता है। स्तनपान करने पर चुप हो जाता है। कष्ट में रोना ओर अनुकूल स्थिति में प्रसन्नता प्रकट करता है। शिशु बतख स्वतः तैरना सीख जाती है। इस तरह की घटनाएं हमें विवश करती हैं यह सोचने के लिए कि जीव पूर्वजन्म के संस्कार लेकर आता है। वरन नन्हें शिशुओं को कौन सिखाता है?
डाॅ. स्टीवेन्सन ने अपने अनुसंधान के दौरान कुछ ऐसे मामले भी देखे हैं जिसमें व्यक्ति के शरीर पर उसके पूर्वजन्म के चिन्ह मौजूद हैं। यद्यपि आत्मा का रुपान्तरण तो समझ में आता है लेकिन दैहिक चिन्हों का पुनःप्रकटन आज भी एक पहेली है।
डाॅ. हेमेन्द्र नाथ बनर्जी का कथन है कि कभी-कभी वर्तमान की बीमारी का कारण पिछले जन्म में भी हो सकता है। श्रीमती रोजन वर्ग की चिकित्सा इसी तरह हुई। आग को देखते ही थर-थर कांप जाने वाली उक्त महिला का जब कोई भी डाॅक्टर इलाज नहीं कर सका। तब थककर वे मनोचिकित्सक के पास गई। वहां जब उन्हें सम्मोहित कर पूर्वभव की याद कराई  कई, तो रोजन वर्ग ने बताया कि वे पिछले जन्म में जल कर मर गई थीं। अतः उन्हें उसका अनुभव करा कर समझा दिया गया, तो वे बिल्कुल स्वस्थ हो गई। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिकों ने विल्सन कलाउड चेम्बर परीक्षण में चूहे की आत्मा की तस्वीर तक खींची है। क्या इससे यह प्रमाणित नहीं होता है कि मृत्यु पर चेतना का शरीर से निर्गमन हो जाता है?
सम्पूर्ण विश्व के सभी धर्मो, वर्गों, जातियों एवं समाजों में पुनर्जन्म के सिद्धांतों किसी न किसी रुप में मान्यता प्राप्त है।
अंततः इस कम्प्युटर युग में भी यह स्पष्ट है कि पुनर्जन्म का सिद्धांत विज्ञान सम्मत है। आधुनिक तकनीकी शब्दावली में पुनर्जन्म के सिद्धांत को इस तरह समझ सकते हैं। आत्मा का अदृश्य कम्प्युटर है और शरीर एक रोबोट है। हम कर्मों के माध्यम से कम्प्युटर में जैसा प्रोग्राम फीड करते हैं वैसा ही फल पाते हैं। कम्प्युटर पुराना रोबोट खराब को जाने पर अपने कर्मों के हिसाब से नया रोबोट बना लेता है।
पुनर्जन्म के विपक्ष में भी अनेक तर्क एवं प्रक्ष खड़े हैं। यह पहेली शब्दों द्वारा नहीं सुलझाई जा सकती है। जीवन के प्रति समग्र सजगता एवं अवधान ही इसका उत्तर दे सकते हैं। संस्कारों की नदी में बढ़ने वाला मन इसे नहीं समझ सकता है।

Thursday, April 5, 2012

अनजाने में कही हुई बात, सही भी हो जाती है...

बहुत दिन हुए किसी से अपनी तारीफ नहीं सुनी....

चलो आज मर ही जाते हैं....

कोई तो कहेगा, तो क्या हुआ वो मर गया...

पर आदमी बहुत अच्छा था....

  

Thursday, February 3, 2011

LIFE.................................


Life is happiness


Iranian_Girls Group

Life is joy
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Life is love

Iranian_Girls Group

Life is unity

Iranian_Girls Group

Life is care

Iranian_Girls Group

Life is faith

Iranian_Girls Group

Life is freedom


Life is peace

Iranian_Girls Group

Life is creation

Life is fantasy


Iranian_Girls Group

Life is art
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Life is a dream

Iranian_Girls Group

Life is a fairy tale

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Life is a mystery

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Life is knowledge

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Life is delight

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Life is rest

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Life is splendour

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Life is nature

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Life is elegance

Life is Feelings
Iranian_Girls Group

Isn't it

Iranian_Girls Group

 So Enjoy it at its fullest! !! 

  "Life is full of tears which cums out @ evry occasion of happiness n sadness"!!

Saturday, December 25, 2010

MARRY CHRISTMAS

Wish you all A Merry Christmas,

May the Joys of the season


Fill your heart with goodwill and cheer.


May the chimes of Christmas glory


Add up more shine and spread

Smiles across the miles,



To-day & In the New Year....................